tag:blogger.com,1999:blog-86114421172495857012024-03-21T08:30:11.114-07:00बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीबुन्देलखंड के नागरिकों का अपना राजनीतिक दलबुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-90446162512380217122010-08-19T10:17:00.000-07:002010-08-19T10:19:11.147-07:00Peepli Live is the great insult of distressed farmers of Bundelkhand : SANJAY PANDEY<span style="font-weight:bold;">New Delhi.</span> Peepli Live the movie which revolves around a debt ridden farmer committing suicide for the sake of compensation, trivializes this emotional issue and is "far from reality", said Sanjay Pandey, the convener of Bundelkhand Akikrit Party.<br />Pandey said that this film is based on the suicide cases of farmers in Bundelkhand as well as in Vidarbha during last five dry years.<br />Peepli Live film has shown Natha, a poor farmer from Peepli village in Bundelkhand is about to lose land due to an unpaid government loan has got a quick fix to the problem is the very same government’s program that aids the families of indebted farmers who have committed suicide and as a means of survival Farmer Natha can choose to die and futher shown that His brother is happy to push him towards this unique ‘honour’ of suicide but Natha is hesitant ,this is totally untrue too much twisted from the ground reality and insult of poor dying farmers of Bundelkhand who are the victims of wrong policies of the government. So this movie has diverted from the basic issue of farmers' suicide and hurt the sentiments of the rural folk.<br /><br />"Although the film released last week has been hailed by critics as one of the smartest social satires to hit the Indian screens in years, it has not gone down well with the farming community", Pandey added. Sanjay Pandey said that these critics perhaps forgot the emotional edge of innocent farmers because maximum of critics and the members of The Censor Board of Film Certification belonging to urban areas do not know the the poverty of Bundelkhand in reality. Also the central theme of the movie is the rural urban divide. Perhaps that's why the movie has received a harshly response in the metros.<br /> <br />According to Sanjay Pandey, Peepli Live has made big question mark to farmers' widows who are demanding compensation after their bread earner farmer's suicide due to debt and crop failure . As this movie shows that farmers had been committing suicides for getting aid where as government had already denied these cases of suicides without even visiting house of dying family members. So Peepli Live will give strong support to such politicians and bureaucrats who never accepted these suicide cases due to starvation and debt. The film has tried to prove that farmers are not forced to kill themselves due to crises where as they themselves killing for money. <br />Finally Pandey said, "In the country of " JAI -JAWAN, JAI-KISAN" the two hour entertainment of cinema-lovers is not much important than the respect of 60 crore farmers. Hence the film should be baned and the censorship certificate to the film should be taken back"बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-86769478645796380082009-09-19T11:30:00.000-07:002009-09-19T11:45:22.719-07:00बुंदेलखंड में पनप सकता है नक्सलवाद : संजय पाण्डेय<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMMDSv02smacilBzMzeryN5EhsoyeD_WyYrxEOf7kEgkd65E007a36vawbQiZjR3-QWdp_DGJlWKeoBn3ysLXbecTttNQ2t8f4qOZ4JxlIx-iUFYyMaCp2yEzWVIZRhZEPOza5_PzzE50/s1600-h/naxalism-bundelkhand.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5383250554601817490" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 200px; CURSOR: hand; HEIGHT: 212px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiMMDSv02smacilBzMzeryN5EhsoyeD_WyYrxEOf7kEgkd65E007a36vawbQiZjR3-QWdp_DGJlWKeoBn3ysLXbecTttNQ2t8f4qOZ4JxlIx-iUFYyMaCp2yEzWVIZRhZEPOza5_PzzE50/s320/naxalism-bundelkhand.jpg" border="0" /></a><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZBepgHHMjqH7yfTOAIluLyaU8Xo3sjg3YTFbDbjDTXo3jTbykhnxUX02ICBbgVP8whTulQLjoY00hz-9rf3PdUVvP9HX36MHER49M_nIkvCkwv0s0e7Tna9GPERPMuWxH5h90TQbCwK8/s1600-h/339.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5383250550557071570" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 318px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZBepgHHMjqH7yfTOAIluLyaU8Xo3sjg3YTFbDbjDTXo3jTbykhnxUX02ICBbgVP8whTulQLjoY00hz-9rf3PdUVvP9HX36MHER49M_nIkvCkwv0s0e7Tna9GPERPMuWxH5h90TQbCwK8/s320/339.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div>आज बुंदेलखंड क्षेत्र के निवासियों को तंगहाली के दौर में जिस मनोदशा से गुजरना पड़ रहा है । उसको देखते हुए अंदेशा है कि यदि अधिक समय तक उन्हें कोई रास्ता नहीं मिला तो वे नक्सली रुख अपना सकते हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों के अलावा प्रकृति भी बुंदेलखंड वासियों का साथ नहीं दे रही है। पिछले पांच वर्षों से सूखा ग्रस्त इस क्षेत्र में इस वर्ष भी खेती की स्थिति दयनीय है। क्षेत्र में उद्योगों का अभाव है । लोगों की पलायन करने की दर बढती जा रही है। महानगरों में यहाँ के मजदूरों का बुरी तरह शोषण होता है किन्तु फिर भी भुखमरी से अपनी जान बचाने के लिए लगभग आधे लोग शहरों का रुख कर चुके हैं । लाख कोशिशों के बावजूद मजदूरों का पलायन नहीं रुक पा रहा है। बीते शनिवार झाँसी रेलवे स्टेशन पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन ने भी बुंदेलखंड छोड़कर दिल्ली जा रहे कुछ ग्रामीणों को समझाया कि वे पलायन न करे , हम यही पर कुछ न कुछ व्यवस्था करेंगे किन्तु लोग नहीं मने। बल्कि इस पर टीकमगढ़ के एक मजदूर गोबिंददास ने जबाब दिया कि सरकार के भरोसे हम भूख से ही मर जायेंगे। कहने का मतलब सरकार पर से लोगों का भरोसा उठ चुका है।<br />गोबिंद दास जैसे मजदूरों के अलावा ऐसे लोग भी तंगी से गुजर रहे है जो कभी जमींदार हुआ करते थे। आज वे भी दो वक्त के भोजन के लिए संघर्षरत हैं। उनके बेरोजगार लड़के लड़कियां खाली बैठे हुए हैं ,परिणाम स्वरुप विवाह भी नहीं हो पा रहा है। निम्न वर्ग के लोग तो दिल्ली जाकर मजदूरी कर सकते हैं किन्तु यहाँ का उच्चवर्ग रूढीवादी होने के कारण भूखे रहते हुए भी चाहारदिवारी से बाहर जाने को तैयार नहीं। इसलिए ऐसे लोग अन्दर ही अन्दर घुट रहे हैं। रात रात भर जाग कर कभी सरकार को कोसते हैं तो कभी प्रकृति को। किन्तु पेट पलने का कोई रास्ता फ़िलहाल नहीं मिल पा रहा है। पिछले हफ्ते महिलाओं के बेचे जाने का मामला मीडिया में आया ,जिससे यहाँ की हकीकत देश के सामने आई।इस पर बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि यदि ज्यादा समय तक प्रकृति का यही रुख रहा और सरकारों ने कोई कारगर कदम न उठाया तो यहाँ अराजकता का माहौल होगा, १०-२० रुपये के लिए छीना झपटी होगी। सरकारों की तरफ से बुरी तरह हताश हो चुके लोगों में अब आक्रोश उबाल लेने लगा है । दूर दूर तक उन्हें गुजारे का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है,ऐसे में संभव है कि लोग नक्सलवाद की रह पकड़ लें।</div></div>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-28224436156766721702009-09-09T22:58:00.000-07:002009-09-09T23:29:45.701-07:00बुंदेलखंड मसले पर सरकारे स्पष्ट करें अपना रुख : संजय पाण्डेय<strong>केन्द्र सरकार राजी, राज्य सरकारें भी राजी ,फ़िर देरी क्यों ?</strong><br />केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों का प्रतिनिधितित्व करने वाले कई वरिष्ठ नेतागण जब बुंदेलखंड आते हैं तो वहां की जनता के बीच में तो पृथक बुंदेलखंड राज्य की खुली वकालत करते है किंतु वापस आते ही इस मुद्दे को भूल जाते हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी का आरोप है कि गुमराह करने का ऐसा ही क्रम पिछले 50 सालों से चल रहा है । वर्ष 1955 में फजल अली की अध्यक्षता में गठित हुए राज्य पुनर्गठन आयोग की पुरजोर शिफारिश के बावजूद आज तक बुंदेलखंड राज्य का गठन सम्भव नही हो सका। पिछले दो वर्षों से उप्र की मुखिया मायावती अपनी जनसभाओं और रैलियों में बुंदेलखंड राज्य निर्माण की तरफ़ दारी करती हैं किंतु जब इस आशय का विधेयक राज्य विधान सभा से पारित करवाने की बात आती है तो बहन जी पीछे हट जाती हैं । इसी तरह केन्द्र की यूपीए सरकार के प्रमुख नेता गण जिनमे डॉ मनमोहन सिंह तथा राहुल गाँधी स्वयं को पृथक बुंदेलखंड राज्य का हिमायती तो बताते हैं किंतु सरकार कोई संसदीय पहल नही कर रही। पार्टी संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि ऐसे हालातों में यही निष्कर्ष निकलता है कि बुंदेलखंड मसले पर पूर्व की तरह सिर्फ़ बयान बाजी से काम चलाया जा रहा है। कहा कि यद्यपि राहुल गाँधी जी में बुंदेलखंड के प्रति कुछ करने की कसक है ,किंतु उनकी सोच का क्रियान्वयन भी तो जरूरी है। सोचने या बयान देने मात्र से बुंदेलखंड की समस्या का हल तो नही हो सकता।<br /> मप्र तथा उप्र के बीच फंसे बुंदेलखंड क्षेत्र की चिर उपेक्षा का परिणाम है कि यह आज देश के सबसे पिछडे क्षेत्रों में से एक है। किंतु इसके पृथक राज्य बनने के बाद यहाँ केंद्रित विकास होने से स्थिति में सुधार आएगा । इसलिए सरकारें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर हीला हवाली न करते हुए जल्द अपना रुख स्पष्ट करें । पाण्डेय ने बुंदेलखंड वासियों से भी पलायन और आत्महत्या का रास्ता छोड़ अपने अधिकारों के लिए क्रांति अख्तियार करने की अपील की।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-22653348401331767772009-09-02T11:42:00.000-07:002009-09-02T11:45:52.331-07:00बुंदेलखंड पर अब और राजनीति नही : संजय पाण्डेयझाँसी । बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय ने यहाँ एक कार्यक्रम में कहा कि आज बुन्देलखण्ड के किसानो को सीधी और त्वरित सहायता की जरूरत है। सूखा राहत के नाम पर विभिन्न योजनाओ में जमकर बन्दर बाँट होता है , इसलिए पात्र किसानों को समय से और उचित मात्रा में राहत राशिः नही पहुँच पाती है। केन्द्र सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को पैकेज न देकर जिलाधिकारियों के माध्यम से किसानों को सीधी सहायता मुहैया करायी जाए। ये पहले ही सिद्ध हो चुका है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसी राहत राशियों का जमकर दुरूपयोग किया है।लिहाजा अब पुनरावृत्ति से बचा जाना चाहिए। दूसरी ओर पाण्डेय ने यह भी कहा कि सूखा राहत मिलने के नियम कानून इतने जटिल होते है कि आम आदमी उन्हें समझ नही पाता है , इसलिए ऐसे में वह जान ही नही पाता है कि उसे कितनी राशि मिलनी चाहिए , फलस्वरूप उसे जो भी मिलता है वह उतने से ही संतुष्टि कर लेता है। अतः राहत देने का फार्मूला आसान हो ।कहा कि बुन्देलखंड में सूखा पीड़ित किसानो द्वारा आत्म हत्याओं का सिलसिला शुरू हो चुका है इसलिए और मौतों का इंतजार न करते हुए सरकार को जल्द ही सहायता की सोचनी चाहिए। श्री पाण्डेय ने कहा कि वैसे तो इस वर्ष पूरे भारत में ही सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है किंतु बुन्देलखंड कि स्तिथि इसलिए हटकर है क्योंकि यहाँ सूखा का पहला साल नही बल्कि पिछले पॉँच वर्षों से यही हालत है। इसलिए सरकार को बुन्देलखंड के किसानो के बारे में प्राथमिकता से सोचना होगा। राहत प्रदान करते समय भी बुन्देलखंड के किसानो को देश के अन्य हिस्सों के किसानो से तुलना न करते हुए विशेष अधिभार दिया जाए।बताया कि बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी यहाँ के किसानों की समस्याओं को लेकर विशाल आन्दोलन शुरू करने जा रही है.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-2702466412748808402009-06-21T09:43:00.000-07:002009-06-21T10:03:04.482-07:00बजट-सत्र के दौरान संसद के समक्ष होगा प्रदर्शनपृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग बुलंद करने के लिए जुलाई में आगामी बजट सत्र के दौरान बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी के हजारों कार्यकर्त्ता दिल्ली में संसद मार्ग पर जोर दार हल्ला बोलेंगे । धरना प्रदर्शन के उपरांत पार्टी कार्यकर्त्ता प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह को ज्ञापन देकर यूपीए सरकार से मांग करेंगे कि पृथक बुन्देलखंड राज्य की मांग को अमली जमा पहनाने के लिए संसद में इस आशय का अधिनियम पारित करवाने के लिए संवैधानिक कार्यवाही आरम्भ की जाये.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-45417746054538061562009-06-17T23:55:00.000-07:002009-06-19T22:44:11.943-07:00गरीब दलितों की भावनाओं पर "डकैती" डालने के लिए स्वांग<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgT8-9eEr8-TtraQHXRB5doMgpoUEOjlAGQC3o3jBcTMz2cSk8DexiiqNm2ua12rElRhB5CL7t9WNhoAt-7-7QtoRmbllp8GL7Uw5zN5WAP2F9J9nxSNyaxk38US7ZnCYEVgtVAYbeLJjw/s1600-h/dsc_0046090515021924_515x343.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5349278838996642946" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 239px; CURSOR: hand; HEIGHT: 320px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgT8-9eEr8-TtraQHXRB5doMgpoUEOjlAGQC3o3jBcTMz2cSk8DexiiqNm2ua12rElRhB5CL7t9WNhoAt-7-7QtoRmbllp8GL7Uw5zN5WAP2F9J9nxSNyaxk38US7ZnCYEVgtVAYbeLJjw/s320/dsc_0046090515021924_515x343.jpg" border="0" /></a><br /><div>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय ने राहुल गाँधी के जन्म दिन पर दलितों के साथ कांग्रेसियों के सहभोज(साथ बैठकर भोजन ) को "गरीब दलितों की भावनाओं पर डकैती" करार दिया। पाण्डेय ने कहा कि समाज में गरीब ही सबसे भावुक होता है ,इसलिए उसकी भावनाओं से खिलवाड़ करना आसान समझकर "राहुल गाँधी एंड कंपनी" गरीब दलितों के घरों को अपनी राजनीतिक प्रयोगशाला के लिए बेहद सस्ती ज़मीन समझ रहे हैं। गरीब के घर कांग्रेसियों के भोजन करने मात्र से उन्हें बराबरी का दर्जा नही मिल जाएगा , बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से बराबरी प्रदान करनी होगी । नौटंकी करने के बजाए उनकी बदहाली दूर करने की योजनाये बनानी होगी । सच तो यह है कि आधी सदी तक के शासन में कांग्रेस ने गरीबी उन्मूलन और दलित उत्थान की दिशा में जो प्रयास किए वे ऊंट के मुह में जीरा की तरह हैं। दरअसल "कोट-पेंट और सूटकेश संस्कृति " वाली कांग्रेस पार्टी में योजनाकारों की भूमिका में सदैव राजा-महाराजा और किताबी अर्थशास्त्री ही रहे हैं, जो न तो गरीबी से परिचित है और न ही गरीब से।ठीक उसी तरह बसपा ने भी स्वयं को दलितों और गरीबों की रहनुमा बताकर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया ।उनका थोक वोट बैंक तो लिया पर उनका उत्थान नही चाहा। और तो और घोषित रूप से दलितों की पार्टी (बसपा) का टिकट भी हर चुनाव में ऐसे अमीरों को दिया जाता है जो बहन जी पर करोडो रूपए न्योछावर कर दे। कुल मिलाकर इस देश में दलितों के हितैषी दिखने के लिए स्वांग रचने की स्पर्धा तो चलती है पर उनको ऊपर उठाना कोई नही चाहता। <strong>असल में भारत की राजनीति में "गरीब" ही सदैव से राजनीतिक सामग्री रहा है</strong> । शायद इसलिए कोई नेता नही चाहता कि गरीबी हटे क्योंकि यदि गरीबी हट गयी तो राजनीति की विषय-वस्तु ही खत्म हो जायेगी ।पिछले वर्ष बुंदेलखंड के दौरे पर आए राहुल गाँधी ने एक दलित परिवार के घर खाना खाकर जाताना चाहा कि वे और उनकी पार्टी ही निम्नवर्ग के सबसे बड़े हितैषी है । किंतु मै राहुल से पूछता हूँ कि बुन्देलखंड क्षेत्र से लाखो लोग पलायन करके उसी दिल्ली में नारकीय जीवन जी रहे है जहाँ राहुल गाँधी स्थाई रूप से रहते हैं, क्या उन लोगों की सुध लेने कभी किसी झुग्गी पर राहुल गाँधी पहुचे?क्या इन्ही मजदूरों में से किसी को दस जनपथ ले जाकर साथ में भोजन करवाया? इतना तो बहुत दूर की बात, किसी मजदूर की औकात तक नही कि वह दस जनपथ में प्रवेश भी पा जाए। मीडिया की उपस्थिति में दलित के घर बैठकर और बड़ी बड़ी फोटो खिचवाकर नेताओ का तो भला हो सकता है मगर गरीब का नही। <strong>राहुल गाँधी "शबरी " के घर भोजन करके "राम" तो बनना चाहते है पर सिर्फ़ मीडिया कवरेज के लिए </strong>। पर नयी पीढी के नेताओं को नौटंकियाँ छोड़कर निष्कपट भाव से दबे-कुचलों को साथ लेकर राम के आदर्शों पर चलकर वास्तव में राम -राज स्थापित करने की पहल करनी होगी । साथ ही देश के गरीब ,दलितों को भी मायावती और राहुल गाँधी जैसे छद्म वेशधारी नौटंकीबाज कलाकारों की हकीकत जाननी होगी ।</div>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-16638055963814751892009-05-07T09:13:00.000-07:002009-05-07T09:28:53.866-07:00लफ्फाजी का शिकार हुआ पृथक बुन्देलखंड राज्य का मुद्दा<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7-krM1RaWA0GbyfumJPoHNxccl531wLVzu9rKWSb4JFaFFCmxKc_hsrjPzEG04HkZz4FbzwOTeYtDJRLT7MXQ3b5nUhw340wVaSLDPDieFlVLOU5Qvj17uNMoKpdq4zFTXh0QqPk2Uxw/s1600-h/kjhdsg.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5333119627427470610" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 106px; CURSOR: hand; HEIGHT: 64px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj7-krM1RaWA0GbyfumJPoHNxccl531wLVzu9rKWSb4JFaFFCmxKc_hsrjPzEG04HkZz4FbzwOTeYtDJRLT7MXQ3b5nUhw340wVaSLDPDieFlVLOU5Qvj17uNMoKpdq4zFTXh0QqPk2Uxw/s200/kjhdsg.jpg" border="0" /></a><br /><div>बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार बुन्देलखंड राज्य निर्माण का मुद्दा राष्ट्रीय नेताओं की लफ्फाजी का शिकार हुआ है। कहा कि बीते वर्ष इस मुद्दे को लेकर जिन नेताओं ने बयानबाजियां की वही नेता एन वक्त पर इस मुद्दे को नज़र अंदाज कर गए । दर असल पिछले साल की शुरुआत में ही मायावती और राहुल गाँधी ने बुन्देलखंड में हुई अपनी अपनी सभाओं में कहा था कि वे पृथक बुन्देलखंड के हिमायती हैं पर लोक सभा चुनाव में न तो कांग्रेस ने और न ही बसपा ने इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में स्थान दिया । हालाँकि बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों ने इस मुद्दे को चुनावी रूप देने की कोशिश की। </div>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-36921238416725711622009-03-12T11:13:00.000-07:002009-03-12T11:15:05.846-07:00लोकसभा प्रत्याशियों की सूची शीघ्र जारी करेगी बुएपादिल्ली। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी बुन्देलखंड की सभी सीटो के साथ साथ दिल्ली की कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है,सभी प्रत्याशियों की सूची शीघ्र जारी कर दी जायेगी.पार्टी संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि उनके सभी प्रत्याशी पूरे दम ख़म के साथ पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण का मुद्दा लेकर चुनाव मैदान में उतरने की पूरी तयारी में हैं. कहा कि आगामी २१ मार्च को हमीरपुर में होने जा रही विशाल रैली में ज्यादातर उम्मीदवारो की घोषणा कर दी जायेगी ।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-46916361972973191262009-01-20T22:02:00.001-08:002009-01-20T22:05:15.532-08:00बुन्देलखंड के प्रति दोहरी नीति महंगी पड़ेगी बसपा और कांग्रेस कोबुन्देलखंड राज्य निर्माण के प्रति दोहरा नजरिया रखने वाले दलों को महंगा साबित होगा।जहां बसपा प्रमुख पृथक बुंदेलखंड राज्य की वकालत करती है वही वे इस आशय का प्रस्ताव केंद्र को भेजने से कतराती है . इसका मतलब उनकी सोच में कोई खोट है. इसी तरह कांग्रेस भी बुन्देलखंड की बात करती हैं पर दूसरा राज्य पुनर्गठन आयोग बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती.<br />वर्षो से हो रही कवायद के फलस्वरूप राज्य निर्माण का कार्य सिफर बना हुआ है। कभी केन्द्र सरकार प्रात निर्माण की गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल देती है तो कभी राज्य सरकार इसे किक कर पुन: केन्द्र सरकार के पाले में पहुंचा देती है। ये राजनैतिक दल बुंदेलखण्ड में फैले भ्रष्टाचार, अकाल की स्थिति पर आसू तो बहाते है, लेकिन इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए प्रात का निर्माण करने में पीछे हट जाते है। यही बड़ी वजह है कि बुन्देलखण्ड बड़ी कीमत चुकाने के पश्चात भी प्रात के रूप में पहचान हासिल नहीं कर पा रहा है।बुन्देलखण्ड का मसौदा वर्ष 1955 में ही तय कर लिया गया था, लेकिन तत्समय इसको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका, जिसका खामियाजा आज तक बुन्देलखंडियों को भुगतना पड़ रहा है। कई संगठन प्रात निर्माण के मुद्दे को जीवित बनाये हुए है। प्रात निर्माण के लिए बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी ने उग्र आदोलनों की शुरुआत की है ,इन आदोलनों के पश्चात तेजी से सरकारों का ध्यान बुन्देलखण्ड की बदहाली पर गया . वर्तमान समय में बुन्देलखण्ड में अनेक कार्यक्रम प्रात निर्माण की लड़ाई के लिए चलाये जा रहे है। रैलियों, आदोलनों के फलस्वरूप भी प्रात अब भी देश के नक्शे पर उभर नहीं पाया है। बुन्देलखण्ड में इतना राजस्व प्राप्त होता है जो एक प्रात के लिए जरूरी है। इसके बावजूद भी सरकारे इसे प्रात का नाम देने में सकुचा रही है। बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि सरकारों द्वारा बुन्देलखण्ड को प्रात नहीं बनाने के पीछे बड़े राजनैतिक दल ही है . सपा जैसे भी कई दल है जो अलग प्रात बनाने पर सीधे तौर पर न कर चुके है। उन्हे लग रहा है यदि बुन्देलखण्ड राज्य बन गया तो उनका बड़ा वोट बैंक खिसक जायेगा। बुद्धिजीवी मानते है कि भले ही बुन्देलखण्ड में अशिक्षितों की बड़ी तादाद हो लेकिन समय आने पर इस क्षेत्र के लोग ऐसे राजनैतिक दलों को सबक सिखा देंगे।आगामी लोकसभा चुनाव में यहाँ की जनता इनसे खुलकर बदला लेने के मूड में हैबुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-85993683881266480742009-01-20T22:02:00.000-08:002009-01-20T22:05:15.275-08:00बुन्देलखंड के प्रति दोहरी नीति महंगी पड़ेगी बसपा और कांग्रेस कोबुन्देलखंड राज्य निर्माण के प्रति दोहरा नजरिया रखने वाले दलों को महंगा साबित होगा।जहां बसपा प्रमुख पृथक बुंदेलखंड राज्य की वकालत करती है वही वे इस आशय का प्रस्ताव केंद्र को भेजने से कतराती है . इसका मतलब उनकी सोच में कोई खोट है. इसी तरह कांग्रेस भी बुन्देलखंड की बात करती हैं पर दूसरा राज्य पुनर्गठन आयोग बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती.<br />वर्षो से हो रही कवायद के फलस्वरूप राज्य निर्माण का कार्य सिफर बना हुआ है। कभी केन्द्र सरकार प्रात निर्माण की गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल देती है तो कभी राज्य सरकार इसे किक कर पुन: केन्द्र सरकार के पाले में पहुंचा देती है। ये राजनैतिक दल बुंदेलखण्ड में फैले भ्रष्टाचार, अकाल की स्थिति पर आसू तो बहाते है, लेकिन इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए प्रात का निर्माण करने में पीछे हट जाते है। यही बड़ी वजह है कि बुन्देलखण्ड बड़ी कीमत चुकाने के पश्चात भी प्रात के रूप में पहचान हासिल नहीं कर पा रहा है।बुन्देलखण्ड का मसौदा वर्ष 1955 में ही तय कर लिया गया था, लेकिन तत्समय इसको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका, जिसका खामियाजा आज तक बुन्देलखंडियों को भुगतना पड़ रहा है। कई संगठन प्रात निर्माण के मुद्दे को जीवित बनाये हुए है। प्रात निर्माण के लिए बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी ने उग्र आदोलनों की शुरुआत की है ,इन आदोलनों के पश्चात तेजी से सरकारों का ध्यान बुन्देलखण्ड की बदहाली पर गया . वर्तमान समय में बुन्देलखण्ड में अनेक कार्यक्रम प्रात निर्माण की लड़ाई के लिए चलाये जा रहे है। रैलियों, आदोलनों के फलस्वरूप भी प्रात अब भी देश के नक्शे पर उभर नहीं पाया है। बुन्देलखण्ड में इतना राजस्व प्राप्त होता है जो एक प्रात के लिए जरूरी है। इसके बावजूद भी सरकारे इसे प्रात का नाम देने में सकुचा रही है। बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि सरकारों द्वारा बुन्देलखण्ड को प्रात नहीं बनाने के पीछे बड़े राजनैतिक दल ही है . सपा जैसे भी कई दल है जो अलग प्रात बनाने पर सीधे तौर पर न कर चुके है। उन्हे लग रहा है यदि बुन्देलखण्ड राज्य बन गया तो उनका बड़ा वोट बैंक खिसक जायेगा। बुद्धिजीवी मानते है कि भले ही बुन्देलखण्ड में अशिक्षितों की बड़ी तादाद हो लेकिन समय आने पर इस क्षेत्र के लोग ऐसे राजनैतिक दलों को सबक सिखा देंगे।आगामी लोकसभा चुनाव में यहाँ की जनता इनसे खुलकर बदला लेने के मूड में हैबुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-68194302268802607922009-01-18T08:52:00.000-08:002009-01-18T08:58:01.608-08:00लोक सभा चुनाव से पूर्व बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी बनाएगी एक लाख नए सदस्यबुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य है कि लोक सभा चुनाव से पूर्व पूरे बुंदेलखंड मे सदस्य संख्या कम से कम एक लाख हो जाये। हालाँकि देखने मे यह अत्यंत कठिन काम प्रतीत होता है, परन्तु पार्टी संगठन के पदाधिकारी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं। बांदा मे सुरेन्द्र तिवारी, झाँसी मे कुवर बहादुर आदिम, छतरपुर मे राजा प्रजापति, चित्रकूट मे लवलीन द्विवेदी ने इस अभियान की शुरुआत कर दी है। पार्टी के प्रांतीय महासचिव सुरेन्द्र तिवारी ने बताया कि हम गाँव गाँव मे चौपाल लगाकर लोगो को सदस्यता गृहण करवा रहे हैं। पार्टी की साधारण सदस्यता शुल्क पॉँच रुपया तथा सक्रिय सदस्यता शुल्क दस रुपया रखी गयी है।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-71533642074531254202009-01-15T09:17:00.001-08:002009-01-15T09:20:36.147-08:00बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी की संकल्प सभाएबांदा। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी पृथक बुन्देलखंड राज्य का मुद्दा लेकर चुनाव लड़ने की तयारी में जुट चुकी है। चुनाव से पूर्व बुंदेलखंड क्षेत्र के हर मतदाता तक पृथक प्रान्त के औचित्य को पहुचाने के लिए पार्टी ने विभिन्न कार्यक्रम आरम्भ किए हैं। ब्लाक (प्रखंड) स्तर पर टोलियाँ गठित की जा रही हैं जो सम्बंधित प्रखंड के अन्दर आने वाले सभी गावों में बारी-बारी से पहुंचकर वहां संकल्प सभाएं आयोजित करके लोगो को शपथ गृहण करवाई जायेगी तथा पृथक राज्य आन्दोलन में सर्वस्व समर्पण के संकल्प को दोहराया जाएगा। उक्त जानकारी पार्टी संयोजक संजय पाण्डेय ने यहाँ एक प्रेसवार्ता में दी। पाण्डेय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि फरबरी में बांदा में "कारण बताओ रैली " का आयोजन किया जाएगा जिसमे बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों से आए हजारों आन्दोलनकारी केन्द्र और राज्य सरकारों को घेरते हुए सबाल पूछेंगे कि आख़िर बुन्देलखंड राज्य मसले पर सार्थक कार्यवाही क्यों नही? कारण पूछा जाएगा कि जब मायावती बुन्देलखंड राज्य की पक्षधर है तो वे केन्द्र को प्रस्ताव क्यों नही भेजती? कारण पूछा जाएगा कि जब मनमोहन सिंह समेत पूरी कांग्रेस और यूपीए सरकार बुंदेलखंड राज्य की वकालत करते हैं तो राज्य पुनर्गठन आयोग क्यों नही बनता? कारण पूछा जाएगा कि कांग्रेस और बसपा के सांसद संसद में इस मुद्दे को क्यों नही उठाते?कांग्रेस और बसपा के नेताओं से पूछा जाएगा कि वे बुंदेलखंड राज्य मामले पर फर्जी बयानबाजी कर पॉँच करोड़ बुन्देलखंडी लोगो का भावनात्मक शोषण करने से बाज क्यों नही आते? कारण पूछा जाएगा कि कांग्रेस और बसपा इस मुद्दे के पक्ष में है तो वे बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल क्यों नही करती?कुल मिलाकर बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीफर्जी शिगूफे छोड़ने वालों को बेनकाब करेगी। बांदा के बाद झाँसी और खजुराहो में भी ऐसी रैलियां होगी.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-56651155906483726112009-01-15T09:17:00.000-08:002009-01-15T09:20:34.988-08:00बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी की संकल्प सभाएबांदा। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी पृथक बुन्देलखंड राज्य का मुद्दा लेकर चुनाव लड़ने की तयारी में जुट चुकी है। चुनाव से पूर्व बुंदेलखंड क्षेत्र के हर मतदाता तक पृथक प्रान्त के औचित्य को पहुचाने के लिए पार्टी ने विभिन्न कार्यक्रम आरम्भ किए हैं। ब्लाक (प्रखंड) स्तर पर टोलियाँ गठित की जा रही हैं जो सम्बंधित प्रखंड के अन्दर आने वाले सभी गावों में बारी-बारी से पहुंचकर वहां संकल्प सभाएं आयोजित करके लोगो को शपथ गृहण करवाई जायेगी तथा पृथक राज्य आन्दोलन में सर्वस्व समर्पण के संकल्प को दोहराया जाएगा। उक्त जानकारी पार्टी संयोजक संजय पाण्डेय ने यहाँ एक प्रेसवार्ता में दी। पाण्डेय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि फरबरी में बांदा में "कारण बताओ रैली " का आयोजन किया जाएगा जिसमे बुंदेलखंड के विभिन्न जिलों से आए हजारों आन्दोलनकारी केन्द्र और राज्य सरकारों को घेरते हुए सबाल पूछेंगे कि आख़िर बुन्देलखंड राज्य मसले पर सार्थक कार्यवाही क्यों नही? कारण पूछा जाएगा कि जब मायावती बुन्देलखंड राज्य की पक्षधर है तो वे केन्द्र को प्रस्ताव क्यों नही भेजती? कारण पूछा जाएगा कि जब मनमोहन सिंह समेत पूरी कांग्रेस और यूपीए सरकार बुंदेलखंड राज्य की वकालत करते हैं तो राज्य पुनर्गठन आयोग क्यों नही बनता? कारण पूछा जाएगा कि कांग्रेस और बसपा के सांसद संसद में इस मुद्दे को क्यों नही उठाते?कांग्रेस और बसपा के नेताओं से पूछा जाएगा कि वे बुंदेलखंड राज्य मामले पर फर्जी बयानबाजी कर पॉँच करोड़ बुन्देलखंडी लोगो का भावनात्मक शोषण करने से बाज क्यों नही आते? कारण पूछा जाएगा कि कांग्रेस और बसपा इस मुद्दे के पक्ष में है तो वे बुंदेलखंड राज्य का मुद्दा अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल क्यों नही करती?कुल मिलाकर बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीफर्जी शिगूफे छोड़ने वालों को बेनकाब करेगी। बांदा के बाद झाँसी और खजुराहो में भी ऐसी रैलियां होगी.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-24741028804937335352009-01-07T10:03:00.000-08:002009-01-07T10:10:20.951-08:00बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी लडेगी लोकसभा चुनावझांसी। बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी ने पृथक राज्य निर्माण के मुद्दे पर राजनीति को गरमाने की तैयारी कर ली है। पार्टी बुन्देलखंड व दिल्ली की सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जरूरत पड़ने पर राज्य निर्माण की वकालत करने वाले दूसरे दलों के प्रत्याशियों को समर्थन भी देगी।<br />पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय ने आज यहां एक होटल में पत्रकारों को राज्य निर्माण की लड़ाई पर राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य निर्माण की मांग एक राजनीतिक मांग है, इसीलिए राजनीतिक दबाव बनाए बगैर इसे पाना कठिन है। इसके लिए जरूरी है कि राज्य निर्माण समर्थक संसद में पहुंचें। इसके लिए मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी सीटों व दिल्ली के बुन्देलखण्डी बहुल क्षेत्र दिल्ली बाहरी व कुछ अन्य सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता अपने दल के प्रत्याशी खड़े करने की रहेगी, लेकिन राज्य निर्माण के प्रबल समर्थक दूसरे दलों के प्रत्याशियों को भी समर्थन दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में छतरपुर जिले की महाराजपुर से पार्टी के समर्थित प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह की जीत से उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों में उत्साह है। अब वे लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए है।<br />पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुंवर बहादुर आदिम ने कहा कि कुछ लोग बुन्देलखण्ड का मुद्दा लेकर चुनाव जीतकर विधानसभा व लोकसभा में पहुंचे, लेकिन उन्होंने कभी इस मुद्दे को सदन में नहीं रखा। इसीलिए जरूरी है कि राज्य निर्माण के समर्थक विधायक व सांसद अपने दलों के चुनाव घोषणा पत्र में इसे शामिल कराएं। पत्रकार वार्ता में महासचिव शांति स्वरूप पस्तोर, महानगर अध्यक्ष नरेन्द्र कुशवाहा, अवधेश कुमारी पटेल, घनश्याम सिंह व अजय पाण्डेय उपस्थित रहे।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-33853159972933455852009-01-01T21:50:00.000-08:002009-01-01T22:47:17.538-08:00बुन्देलखंड राज्य बना तो एक अत्यन्त समृद्ध राज्य होगा : संजय पाण्डेय<span class="">झाँसी </span>। <span class="">बुन्देलखंड एकीकृत</span> पार्टी के राष्ट्रीय <span class="">संयोजक संजय पाण्डेय </span>ने कहा <span class="">कि </span>यदि भारत की संसद बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए <span class="">गंभीरता </span>से सोचती है और बुंदेलखंड राज्य का गठन होता है तो जो बुन्देलखंड आज गरीबी और बदहाली के मामले में देश में मशहूर है वही बुन्देलखंड देश के सबसे समृद्ध क्षेत्र के रूप में जाना जायेगा. क्योंकि बुन्देलखंड में संसाधनों की कमी नहीं बल्कि सुशासन और अच्छी नीतियों की कमी है या यूं कहें की दो विशालकाय राज्यों केबीच घिरे होने से ऐसी भौगोलिक संरचना बन जाती है कि दोनों में से कोई भी सरकार चाहकर भी विकास नहीं करवा पाती है .बुन्देलखंड क्षेत्र में बालू ,संगमरमर से लेकर सोना,यूरेनियम और हीरा तक के भण्डार हैं. मानव संसाधन तथा पशु संसाधन ,कृषि संसाधन तथा वन संसाधन यहाँ पर्याप्त है ,सात सात नदियाँ भी बुन्देलखंड क्षेत्र से होकर गुजरती हैं जरूरत है तो सिर्फ उचित जल संचय प्रणाली की और बहुद्देशीय नदी जल परियोजनाओ के गठन की जो कि अलग राज्य बनने पर ही संभव हैं.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-88793005730171664642008-12-31T05:02:00.000-08:002008-12-31T05:07:09.926-08:00नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !! !!<strong>बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी</strong> की तरफ़ से सभी हिन्दी चिट्ठाकारों को नया वर्ष मुबारक हो ...<br />वर्ष २००९ में हिन्दी के चिट्ठाकारों की संख्या एक लाख से भी अधिक हो जायें इन्ही शुभकामनाओं के साथ ....<br /><strong>संजय पाण्डेय</strong> (<em>राष्ट्रीय संयोजक</em>)<br /><strong>बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी ।</strong>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-91731208111405381892008-12-30T20:35:00.000-08:002008-12-30T20:38:00.757-08:00भारत में राज्यों का पुनर्गठन हो : संजय पाण्डेयनई दिल्ली।जनसंख्या एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत के प्रदेशों के आकारों में बड़ी विषमता है। एक तरफ़ बीस करोड़ से भी अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश जैसे भारी भरकम राज्य तो वहीं सिक्किम जैसे छोटे प्रदेश जिसकी जनसंख्या मात्र छः लाख है। इसी तरह एक ओर राजस्थान जैसा लंबा चौडा राज्य जिसका क्षेत्रफल साढे तीन लाख वर्ग किमी है वहीं लक्षद्वीप मात्र 32 वर्ग किमी ही है । किंतु तथ्य बताते है कि छोटे प्रदेशों में विकास की दर कई गुना अधिक है।उदाहरण के लिए बिहार की प्रति व्यक्ति आय आज मात्र 3835 रु है जबकि हिमाचल जैसे छोटे राज्य में यही 18750 रु है । छोटी इकाइयों में कार्य क्षमता अधिक होती है । सिर्फ आर्थिक मामले में ही नहीं बल्कि शिक्षा,स्वास्थ्य जैसे विभिन्न मामलो में भी छोटे प्रदेश आगे हैं। जैसे कि शिक्षा के क्षेत्र में यूपी का देश में 31 वां स्थान है (साक्षरता दर -57%) जबकि इसी से अलग होकर नवगठित हुआ उत्तराँचल प्रान्त शिक्षा के हिसाब से भारत में 14 वां स्थान रखता है (साक्षरता दर -72 %)।बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार यदि भारत को वर्ष 2020 तक विकसित देश बनाना है तो भारत के राज्यों का एक बार पुनर्गठन जरूरी है । पाण्डेय ने कहा कि जब तक भारत में बुन्देलखंड और विदर्भ जैसे अति पिछडे क्षेत्र बदहाल हैं (जहाँ विकास तो दूर लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं) तब तक विकसित भारत की परिकल्पना भी बेमानी होगी। क्योंकि जिस तरह शरीर को तभी स्वस्थ कहा जा सकता है जब शरीर के सभी अंग स्वस्थ हों , ठीक उसी तरह भारत को तभी विकसित कहा जायेगा जब इसकी सीमा के भीतर आने वाले सभी भाग समृद्ध होंगे । संजय पाण्डेय के अनुसार बुन्देलखंड जैसे पिछडे क्षेत्रों को नया राज्य बनाकर विकास के नए आयाम स्थापित किये जा सकते हैं. दरअसल अलग राज्य बनने पर केन्द्रित विकास के चलते द्रुत गति से समृद्धि लाई जा सकती है । अपार संसाधनों से भरपूर बुन्देलखंड क्षेत्र में अगर कमी है तो सुशासन की, जो कि अलग प्रान्त बनने कि स्थिति में ही संभव है । उन्होंने कहा कि राज्य बनने से पहले लोग हरियाणा को घास फूस का क्षेत्र कहा करते थे, किन्तु अलग राज्य बनने के बाद आज हरियाणा का विकास समूचे देश के सामने है । आज हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय 16200 रु है। पाण्डेय ने कहा कि भारत के बड़े राज्यों को पुनर्गठित करके छोटे राज्यों का गठन बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका पचास छोटे राज्यों का संघ है इसलिए उसकी सम्पन्नता आज जगजाहिर है। हमारे देश में कुछ लोग छोटे राज्यों का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि इससे देश टुकडों में बटता है,किन्तु उनकी यह धारणा विल्कुल गलत है । आज़ादी के समय भारत में 14 प्रदेश थे आज 35 हैं तो क्या इतने सारे नए प्रदेशों के बनने से देश खंडित हुआ?नहीं । तब भी भारत अखंड था ,आज भी अखंड है और कुछ नए राज्य बने तो भी भारत अखंड ही रहेगा।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-2008916292085984812008-12-26T04:23:00.000-08:002008-12-26T04:44:26.574-08:00रेल संपर्क से खजुराहो में पर्यटन व्यवसाय समृद्ध होगाबुन्देलखंड क्षेत्र के लोगो को आखिर एक नई रेल गाड़ी मिल ही गयी । चिर प्रतीक्षित महोबा-खजुराहो रेल लाइन का लालू प्रसाद यादव द्वारा आज उदघाटन के साथ ही झाँसी-खजुराहो लिंक ट्रेन को भी हरी झंडी मिल गयी. । यह ट्रेन झाँसी और खजुराहो के बीच चलेगी। इन दोनों स्टेशनों के मध्य २०० किमी का पूरा का पूरा क्षेत्र बुंदेलखंड क्षेत्र में ही आता है,इसलिए इस ट्रेन को बुन्देलखंड की लोकल ट्रेन कहा जा सकता है ।इस ट्रेन की शुरुआत होने से लोगो में खासा हर्ष है। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार यह ट्रेन दो भागो में बटे बुन्देलखंड को एकीकृत करने में मददगार साबित होगी और साथ ही खजुराहो में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा ।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-21373203170218572342008-12-26T03:34:00.000-08:002008-12-26T04:10:57.510-08:00बुन्देली भाषा को संविधान की अनुसूची आठ में शामिल किया जाए : संजय पाण्डेय<p>भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओँ को अनुसूची क्रमांक आठ में रखा गया है और इन भाषाओँ के संवर्धन के लिए अलग से राजभाषा आयोग की व्यवस्था भी संविधान में है ।संविधान की आठवी अनुसूची में कई भाषाएँ तो ऐसी हैं जिनके प्रयोगकर्ता एक करोड़ से कम है (असमिया -<strong>89</strong> लाख, मैथिली-<strong>61</strong> लाख, संथाली<strong>-37</strong> लाख, कश्मीरी - <strong>24</strong> लाख , कोंकणी-<strong>15</strong> लाख, नेपाली-<strong>13</strong> लाख़, डोगरी-<strong>13</strong> लाख़, सिंधी-<strong>12</strong> लाख ) किंतु हमारे देश में चार करोड़ बुन्देली भाषी लोग हैं फ़िर भी <strong><span style="color:#cc0000;">बुन्देली भाषा</span></strong> को मान्यता प्रदान करते हुए इसे <strong>अनुसूची -8</strong> में शामिल नही किया गया ।</p><p><strong>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी</strong> के संयोजक <strong>संजय पाण्डेय</strong> के अनुसार बुन्देली भाषा को राजकीय संरक्षण न मिलने से बुन्देली साहित्य और साहित्यकारों की दुर्दशा हो रही है किन्तु बुन्देलखंड क्षेत्र के सांसद इस विषय को संसद में उठाने की जरूरत ही नहीं समझते हैं । इसलिए <strong><span style="color:#ff0000;">बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी</span></strong> ने अपने एजेंडे में पृथक बुन्देलखंड राज्य निर्माण के साथ साथ बुन्देली भाषा को सम्मान दिलाते हुए इसे संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करवाना अपने उद्देश्यों की उच्च वरीयता में रखा है । </p>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-40861172897787666912008-12-25T08:43:00.000-08:002008-12-25T08:47:31.487-08:00माया सरकार लूट खसोट में व्यस्त है : संजय पाण्डेय<strong>नई दिल्ली</strong>. बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी ने औरय्या के इंजिनियर मनोज गुप्ता हत्याकांड की कड़े शब्दों में निंदा की है । पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय ने जारी बयान में कहा है कि इस घटना से बसपा सरकार की लूट प्रथा का खुलासा हो गया। कहा कि बसपा जैसी पार्टियाँ देश की स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रणाली के भविष्य के लिए खतरा हैं। क्योंकि बहुजन समाज पार्टी आज लिमिटेड कम्पनी बनकर रह गयी ,है जहाँ एक मात्र लक्ष्य है, येनकेन प्रकारेण धन इकठ्ठा करना। श्री पाण्डेय ने कहा कि ऐसी पार्टियों को जनता वहिष्कृत करे ताकि आने वाली सरकारें धन उगाही के कदम उठाने से पहले कई बार सोचें।बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-3357229509618315212008-12-21T14:30:00.000-08:002008-12-21T14:34:12.375-08:00बुन्देलखंड : खाली होते गाँव के गाँवमहोबा. पिछले पॉँच वर्षों से भीषण सूखे की चपेट में रहे बुन्देलखंड क्षेत्र में इस बार औसत वर्षा होने से सूखा से तो निजात मिली किन्तु लोगो का आर्थिक संकट अभी तक दूर नहीं हो सका . पिछले वर्षों के अकाल ने बुंदेलखंड क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था,लोग दाने-दाने को मोहताज़ हो गए थे ,लोग और उनके मवेशी बूँद -बूँद पानी के लिए तरसने को मजबूर थे ,खेतों में एक-एक मीटर गहरीं दरारें पद गयीं थीं .किन्तु इस वर्ष अच्छी बारिश हो जाने से बुन्देलखण्ड के लोगो को मानो जान ही मिल गयी थी.परन्तु खरीफ की फसल अति वर्षा की भेंट चढ़ गयी और रबी की फसल के लिए खाद-बीज के लिए पैसे न होने केचलते लोग मन मसोस कर रह गए. इतना ही नहीं पानी बरस जाने से बाद से वे सारी सरकारी सहायतायें भी बंद कर दीं गयीं थीं जो सूखे दौरान क्षेत्र के लोगो को मिल रहीं थीं.<br />कुछ लोगो ने पुनः क़र्ज़ काढ कर खाद, बीज का जुगाड़ तो कर लिया और बुबाई भी कर दी,किन्तु फसल आने में तो अभी तीन महीने शेष हैं,पेट की भी चिंता है, साहूकारों का क़र्ज़ भी उतारना है इसलिए लोग मजबूर होकर मजदूरी की खातिर महानगरों के लिए पलायन कर रहे हैं। रोज़ हजारों युवक दिल्ली मुम्बई के लिए प्रस्थान कर रहे हैं,फलस्वरूप यहाँ के गावों में बुजुर्ग और महिलाएं ही शेष रह गए है, गाँव के गाँव खाली हो गये हैं। बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार बुंदेलखंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में अभी वक्त लगेगा ,इसलिए यहाँ के लोगों को जो सरकारी सहायताये सूखे के दौरान दी जाती थीं वे अभी बंद नहीं की जानी चाहिए, इतना ही नहीं बल्कि खाद,बीज,सिंचाई,लगान आदि में भी राहत की पेशकश सरकारों की तरफ से की जानी चाहिए.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-42047163904690719282008-12-21T14:28:00.000-08:002008-12-21T14:30:28.646-08:00बुन्देलखंड के जन प्रतिनिधि एक जुटता दिखाएँ : संजय पाण्डेयछतरपुर(म.प्र.). बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय ने सघन जनसंपर्क के दौरान छतरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जब तक बुंदेलखंड क्षेत्र के सांसद और विधायक पृथक बुंदेलखण्ड राज्य की बात सदनों में नहीं उठाएंगे तब तक यह मांग हवा हवाई ही बनी रहेगी.उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य का हवाला देते हुए कहा कि वहां के जन प्रतिनिधियों की एकजुटता से ही वह अलग राज्य बना था, ठीक उसी तरह बुन्देलखंड के जन प्रतिनिधियों को भी अपनी पार्टी प्रोटोकाल से हटकर बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के मुद्दे पर एकजुटता दिखानी चाहिए. पाण्डेय ने कहा कि बुन्देलखंड राज्य बनाये जाने कि मांग बहुत पुरानी है , किन्तु यह मांग अब तक इसलिए क्रियान्वित नहीं हो सकी क्योंकि यहाँ के सांसदों और विधायकों ने इस मांग को कभी संसद और विधान सभा में नहीं मजबूती से उठाया,पर यदि इस मांग को संवैधानिक शक्ति प्रदान करना है तो बुंदेलखंड के जन प्रतिनिधियों को एक मत होकर इस आवाज को उठाना होगा.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-786515439526307852008-12-17T22:48:00.000-08:002008-12-17T22:50:48.506-08:00बुंदेलखण्ड : पृथक राज्य के लिए उठती आवाजवर्तमान में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्तिथि बहुत ही गंभीर है । यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है । इसका मुख्य कारण है,राजनीतिक उदासीनता। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर हैं । इसलिए इस क्षेत्र के लोग अलग बुंदेलखण्ड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है. पिछले कुछ समय से बुंदेलखण्ड एकीकृत पार्टी के नेत्रत्व में यह आन्दोलन काफी हद तक प्रभावी साबित हुआ है क्यों कि इस पार्टी द्वारा आयोजित विभिन्न धरनों और रैलियों के माध्यम से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सोचने को विवश हुए है। प्रस्तावित बुन्देलखंड राज्य में उ.प्र. के महोबा,झाँसी,बांदा,ललितपुर,जालौन,हमीरपुर और चित्रकूट जिले शामिल हैं, जबकि म.प्र. के छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, दतिया, भिंड, सतना आदि जिले शामिल हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि यदि बुंदेलखंड राज्य का गठन हुआ तो यह देश का सबसे विकसित प्रदेश होगा.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-5975558221771633602008-12-17T22:45:00.000-08:002008-12-17T22:47:58.318-08:00बुन्देलखण्ड : पृथक राज्य के लिए उठती मांगवर्तमान में बुंदेलखंड क्षेत्र की स्तिथि बहुत ही गंभीर है । यह क्षेत्र पर्याप्त आर्थिक संसाधनों से परिपूर्ण है किन्तु फिर भी यह अत्यंत पिछड़ा है । इसका मुख्य कारण है,राजनीतिक उदासीनता। न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें इस क्षेत्र के विकास के लिए गंभीर हैं । इसलिए इस क्षेत्र के लोग अलग बुंदेलखण्ड राज्य की मांग लम्बे समय से करते आ रहे है. पिछले कुछ समय से बुन्देलखण्ड एकीकृत पार्टी के नेत्रत्व में यह आन्दोलन काफी हद तक प्रभावी साबित हुआ है क्यों कि इस पार्टी द्वारा आयोजित विभिन्न धरनों और रैलियों के माध्यम से केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सोचने को विवश हुए है। प्रस्तावित बुन्देलखंड राज्य में उ.प्र. के महोबा,झाँसी,बांदा,ललितपुर,जालौन,हमीरपुर और चित्रकूट जिले शामिल हैं, जबकि म.प्र. के छतरपुर, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, दतिया, भिंड, सतना आदि जिले शामिल हैं। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक संजय पाण्डेय का कहना है कि यदि बुंदेलखंड राज्य का गठन हुआ तो यह देश का सबसे विकसित प्रदेश होगा.बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8611442117249585701.post-32963117478866052872008-12-09T06:27:00.000-08:002008-12-09T06:42:23.198-08:00बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी समर्थित प्रत्याशी भंवर राजा विजयी हुए<strong><em><span style="font-size:130%;">छतरपुर</span></em></strong> .मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में <strong>महाराजपुर</strong> विधानसभा सीट से <strong>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी</strong> समर्थक प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह उर्फ़ भंवर राजा के विजयी होने से बुंदेलखंड राज्य समर्थक आन्दोलनकारियों में खासा उत्साह है क्यों कि अब उन्हें मानवेन्द्र सिंह जैसा प्रतिनिधि मिल गया है जो सदन के भीतर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को उठाएगा. उल्लेखनीय है कि मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं और क्षेत्र में मजबूत जनाधार रखते हैं किन्तु इस बार उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था जिस से उन्हें मजबूरन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आना पड़ा था <span class=""> किन्तु बाद में बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी ने उन्हें अपनी पार्टी की तरफ़ से इस शर्त पर समर्थित प्रत्याशी बनाया गया था कि वे विधान सभा में पहुचकर बुंदेलखंड राज्य निर्माण की बात उठाएंगे ,जिसे श्री मानवेन्द्र ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था।</span><br /><span class="">इसलिए उनकी जीत पर बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय पाण्डेय ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी जीत बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए चलाये जा रहे आन्दोलन के लिए शुभ संकेत है.</span>बुंदेलखंड एकीकृत पार्टीhttp://www.blogger.com/profile/15789274159531145719noreply@blogger.com0