रफ़्तार चिट्ठाजगत

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

बुन्देली भाषा को संविधान की अनुसूची आठ में शामिल किया जाए : संजय पाण्डेय

भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओँ को अनुसूची क्रमांक आठ में रखा गया है और इन भाषाओँ के संवर्धन के लिए अलग से राजभाषा आयोग की व्यवस्था भी संविधान में है ।संविधान की आठवी अनुसूची में कई भाषाएँ तो ऐसी हैं जिनके प्रयोगकर्ता एक करोड़ से कम है (असमिया -89 लाख, मैथिली-61 लाख, संथाली-37 लाख, कश्मीरी - 24 लाख , कोंकणी-15 लाख, नेपाली-13 लाख़, डोगरी-13 लाख़, सिंधी-12 लाख ) किंतु हमारे देश में चार करोड़ बुन्देली भाषी लोग हैं फ़िर भी बुन्देली भाषा को मान्यता प्रदान करते हुए इसे अनुसूची -8 में शामिल नही किया गया ।

बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय के अनुसार बुन्देली भाषा को राजकीय संरक्षण न मिलने से बुन्देली साहित्य और साहित्यकारों की दुर्दशा हो रही है किन्तु बुन्देलखंड क्षेत्र के सांसद इस विषय को संसद में उठाने की जरूरत ही नहीं समझते हैं । इसलिए बुन्देलखंड एकीकृत पार्टी ने अपने एजेंडे में पृथक बुन्देलखंड राज्य निर्माण के साथ साथ बुन्देली भाषा को सम्मान दिलाते हुए इसे संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करवाना अपने उद्देश्यों की उच्च वरीयता में रखा है ।

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